बुधवार, 18 मार्च 2009

जीवन की जलन !


देश में महिलाओं की स्थिती बद से बदतर होती जा रही है। हम महिलाओं के कितना भी आगे बढ़ने की बात करें लेकिन सचाई यह है कि आज भी उनका शोषण पहले जैसे ही नहीं हो रहा है बल्कि कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। एक तरफ तो महिलाओं कि तरक्की हो रही है तो दूसरी तरफ हर पल उनका जीवन बर्बाद हो रहा है। एक औरत दो कदम आगे बढाती है तो चार कदम आगे बढ़ते हैं उसे शिकार बनाने के लिए। समाज के बढ़ते पश्चिमीकरण के कारण आज महिलाएं आजादी से जीना चाहती हैं और आसमान पर उड़ना चाहती हैं लेकिन हर कदम पर उनके पंख नोचने के लिए शिकारी मौजूद हैं।

ताज़ा उदहारण मध्य प्रदेश का है जहाँ महिला उत्पीड़न की घटनाएं कान खड़े कर देने वाली हैं। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 15 माह के दरम्यान 397 महिलाओं को सामूहिक बलात्कार का दंश झेलना पड़ा है। इनमें सबसे ज्यादा मामले पिछड़े वर्ग के , जिनकी संख्या 135 है। अनुसूचित जाति की 123, अनुसूचित जनजाति की 88 और सामान्य वर्ग की 51 महिलाओं को सामूहिक बलात्कार का शिकार होना पड़ा। बलात्कार की शिकार बनी 397 महिलाओं में से 153 नाबालिग हैं।

कब तक महिलाऐं जीवन कि इस आग में जलती रहेंगी ? सम्मान से जीना उनका भी हक़ है और यह सबका फ़र्ज़ है कि उनके स्वछंद उड़ने के लिए भय मुक्त आकाश कि सौगात उन्हें सौंपी जाए।

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