कहते हैं कि प्रयास करने वालों कि हार नहीं होती और जो लाख हारने के बाद भी अपने इरादों से नहीं डिगते वे ही असली बहादुर होते हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के 65 वर्षीय जब्बार भाई कमाल के हैं। पिछले 44 साल से 10वीं कक्षा की परीक्षा में फेल होने के बावजूद जब्बार भाई ने हार नहीं मानी है। बिना नकल किए परीक्षा पास करने की शपथ लेने वाले जब्बार इस साल 45वीं बार परीक्षा दे रहे हैं।
इसे कहते हैं कुछ कर गुजरने कि असली चाह। शुरू में जब्बार भाई को कितने लोगों कि हँसी का पात्र बनना पड़ा होगा, लोगों ने कितना समझाया होगा कि भाई रहने दो ये फालतू का काम , यह तुम्हारे बस का नहीं। कितना विरोध सहना पड़ा होगा उन्हें अपने परिवार वालों का, समाज का, लेकिन फिर भी वो डटे रहे । इसे कहते हैं " कुछ कर गुजरने की आग " , ऐसी आग जो तमाम आंधिओं के बावजूद जलती रहे । इसी को कहते हैं असली साहस । हममें से कितने लोग होंगे जो ऐसा साहस होने का दम भर सकते हैं ? कितने लोग होंगे जिनमें ये साहस होगा कि किसी काम में ४४ बार विफल रहने के बाद भी उनमें पहली बार वाला जोश बना रहे ? हमारे देश को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे ही " साहसी नौजवानों " की ज़रूरत है जो किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानें। जय हो ...जब्बार भाई....जय हो !!!
बुधवार, 4 मार्च 2009
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